यूपी पुलिस नहीं चाहती उत्तर प्रदेश बने 'उत्तम प्रदेश '

      यूपी पुलिस नहीं चाहती उत्तर प्रदेश बने 'उत्तम प्रदेश '

उत्तर प्रदेश अब  तक 'उत्तम प्रदेश' कब का बन गया होता, पर रास्ते में एक रोड़ा आज भी है। जी हाँ, हम बात कर रहे है 'यूपी पुलिस की'। सूबे के प्रशासन व्यवस्था की कार्यशैली पर  सवाल  तो हमेशा से ही उठते रहे है। एकबार फिर कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। मामला मऊ जिले के घोसी थानाक्षेत्र खदरी गांव का हैं जंहा तमंचे के बल पर 10वीं की छात्रा के साथ बलात्कार की सनसनीखेज वारदात सामने आई है।  पूरा मामला संज्ञान में आने के बाद भी पुलिस कार्रवाई करने की बजाय सुलह कराने में लगी रही। 

 मिली जानकारी के मुताबिक पड़ोस के गांव का एक दबंग युवक 10वीं की छात्रा को तमंचें के बल पर अपनी बाइक पर जबरन बैठकर ले गया और गांव के बाहर स्थित पोखरे के पास के बलात्कार जैसी घटना को अंजाम दिया। इतना ही नहीं, आरोपी ने इस बारे में किसी को कुछ बताने पर छात्रा व उसके पूरे परिवार को जान से मार देने की धमकी दी। लेकिन साहस दिखाते हुए पीड़िता ने घर पहुंचकर अपनी मां को आपबीती सुनाई, जिसके बाद पीड़िता की मां इसकी शिकायत लेकर स्थानीय पुलिस के पास गई। पीड़ित परिवार की शिकायत पर एक्शन लेने की बजाय पुलिस मामलें को सुलह करने का दबाव देने लगी रही । आखिरकार कोई हल न निकलने पर न्याय की गुहार लेकर पीड़ित परिवार को जिलाधिकारी कार्यालय पर जाना पड़ा। तब जाकर पुलिस ने इस मामले पर गंभीरता से छानबीन करना शुरू किया है लेकिन अब भी अपराधी पुलिस की चंगुल से बाहर है। 

एक दिन पहले ही हुआ था यूपी के कन्नौज में एक लड़की से रेप 


बुधवार को ही सपा के गढ़ कन्‍नौज में 'बदायूं कांड' जैसी घटना सामने आई है। जिस तरह बदायूं में दो बहनों को रेप करने के बाद हत्‍या कर पेड़ से लटकाया था, ठीक उसी प्रकार यहां भी खेत में पेड़ पर फंदे से लटकी हुई एक लड़की की लाश बरामद हुई है। मृतका के परिजनों ने तीन युवकों पर गैंगरेप के बाद हत्‍या करने के आरोप लगाए हैं। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस के आलाधिकारी मौके पर पहुंच तो गए और शव को भी कब्‍जे में लेकर पोस्‍टमॉर्टक के लिए भेज दिया है। पर 24 घंटे बीत जाने के बाद भी अभी पुलिस खाली हाथ है। 


आखिर क्या हैं असली वजह 

 प्रदेश के बारे में कहीं भी कैसी भी चर्चा हो, उसमें यहां की कानून व्यवस्था की स्थिति और अपराध नियंत्रण पर पुलिस की नाकामयाबी का उल्लेख जरूर रहता है। जहां एक ओर सरकार और सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी से जुड़े तत्व यह कहते नहीं थकते कि सरकार ने अपराध नियंत्रण के लिए 1090 वीमेन हेल्पलाइन, आधुनिक पुलिस कंट्रोल रूम, डायल 100, नयी गाड़ियों और मोटर साइकिलों जैसी तमाम व्यवस्थाएं की हैं, वहीं विरोधी और विपक्षी दलों का आरोप है कि ये तो मात्र दिखावे हेतु सुविधाएं हैं, इसका असल में जनता को क्या फायदा हो रहा है? 

Comments

Popular posts from this blog

दशहरे में राम बनने वाला 'जुनैद' कैसे बन गया हैवान...

काश मैं भी रवीश बन पाता !

गौरी पर 'गौर' किया, अब शांतनु पर इतनी 'शांति' क्यों...