क्या वास्तव में कोई इलाज नहीं है इन बीमारू मरीजों का, जो लड़की देख शुरू हो जाते हैं....
महिला सुरक्षा के नाम पर सरकारें, समाजसेवी संस्थाएं और समाज के लिए रोल मॉडल कहलाने वाली सिलेब्रिटीज कितनी भी जागरुकता क्यों न फैला लें लेकिन बीमार मानसिकता वाले लोंगों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला। ऐसी बीमार मानसिकता से पीड़ित व्यक्तियों के लिए महिलाएं सिर्फ उनकी शारीरिक जरूरत को पूरा करने का माध्यम भर है। ऐसे लोग तरह तरह से महिलाओं का शोषण करते हैं कभी अपनी गंदी नजर से तो कभी अपनी गंदी जुबान से। कुछ तो इससे भी आगे निकल कर अश्लील इशारे से लेकर अश्लील स्पर्श तक करने से नहीं डरते। इससे ज्यादा खराब मानसिकता उन लोगों की है जिन्हें ऐसे अपराधों को होने से रोकने की जिम्मेदारी के लिए सरकारें मोटी पगार देती है, लेकिन ये लोग अपने कर्तव्य को पूरा करने से ज्यादा पीड़ितो का मजाक बनाना पसन्द करते हैं।....
बीमार मानसिकता को दर्शाती एक घटना मुंबई की लोकल ट्रेन में घटी। जिसका जिक्र उसी ट्रेन में सफर करने वाली युवती ने अपनी फेसबुक वॉल पर किया है। इस युवती ने बड़ी हिम्मत दिखाते हुए पूरी आपबीती को लिखा है। इस युवती ने मुंबई पुलिस का जिक्र जिस तरह से किया है उसे देखकर लगता है कि मुंबई पुलिस भी महिलाओं के साथ हो रहे अपराध को लेकर बिलकुल भी गंभीर नहीं है। इस युवती ने बीमार मानसिकता वाले युवक की तस्वीर भी पोस्ट की है।
युवती ने अपनी वॉल पर लिखा है यह पूरा वाकया —
‘मैं ट्रेन में बैठी थी. बोरीवली में रहने वाली एक दोस्त से मिलकर वापस घर लौट रही थी. लेडीज कम्पार्टमेंट में बैठी हुई थी. मैं उस तरफ मुंह करके बैठी हुई थी,जिस तरफ से हैंडीकैप्ड सेक्शन को देखा जा सकता था. लेकिन बीच में रेलिंग थी. मेरी बायीं तरफ एक लड़की बैठी थी. तभी मैंने देखा कि अगले कोच से ही लोहे के रॉड की जालियों से एक शख्स मेरी बगल में मौजूद एक दूसरी पैसेंजर की ओर इशारा कर रहा है. उसका हाथ लड़की के चेहरे की तरफ बढ़ रहा है. लड़की उससे बच रही है. मैंने हेडफोन लगा रखा था. म्यूजिक सुन रही थी. तो उसकी बात नहीं सुन पाई. मुझे लगा वो हैंडीकैप्ड के लिए कम्पार्टमेंट है. जिसमें लोग रोजाना सफर करते हैं. होगा कोई सफर कर रहा होगा. ये सोचकर मैंने निगाह हटा ली.
लेकिन ये लड़का उसको गालियां दे रहा था. मैंने सुना वो बोल रहा था, मादर$#%. उसने एक बार नहीं कई बार उसे गालियां दीं. मैंने आंखें नीचे कर लीं. लड़की देख रही थी शायद उसको मदद की ज़रूरत थी.
जब उसने फिर से उसके गाल को छूने की कोशिश की और फिर गालियां दीं. तो मैंने उसे देखा. और घूरती रही. मुझे उम्मीद थी कि कुछ देर में ये शख्स अपनी नजरें हटा लेगा, लेकिन उस शख्स को जरा भी डर नहीं लगा. बल्कि वो मेरी तरफ आ गया. और अपना हाथ पैंट की जिप तक ले गया. पेंट खोलकर लिंग को बाहर निकाल लिया. वहीं खड़े होकर मास्टरबेट करने लगा. तब मैंने अपनी साथ चल रहीं दूसरी लेडीज़ से बताया कि वो मुझे देखकर मास्टरबेट कर रहा है. मैंने पुलिस हेल्पलाइन पर कॉल करने को बोला.
फोन करके मैंने कम्पार्टमेंट, टाइम, सभी कुछ उसे बताया, लेकिन पूरी बात सुनकर हेल्पलाइन पर फोन रिसीव करने वाला शख्स ठहाके मारकर हंसने लगा. मैंने उनसे पूछा कि क्या वो उसे कांदिवली में पकड़ लेंगे. उधर से कोई जवाब नहीं मिला. बल्कि फोन काट दिया गया. उन्हें ये मज़ाकिया लगा. मुझे नहीं पता इसके बाद उस शख्स को पकड़ा या नहीं. क्योंकि जब कांदिवली आया तो वो कम्पार्टमेंट से उतरा और महिला कोच में घुसना चाह रहा था. जब 6 महिलाएं चिल्लाईं तो वो वहां से भाग गया. मैं कम्पार्टमेंट के गेट तक गई. उसने मुझे धमकाया कि मैं तुम्हारा रेप कर दूंगा.’
ये लाइनें पीड़िता ने फेसबुक वॉल पर लिखीं हैं। पीड़िता ने महिला हेल्पलाइन पर अपने साथ हुए बर्ताव का जिक्र भी किया है। यह मामला बेहद गंभीर है और महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान खड़े करता है।
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