पहले ढोंगी बाबा, अब ढोंगी गुरु

                             पहले ढोंगी बाबा, अब ढोंगी गुरु                                                                                                                                                                  

 शिक्षा का मन्दिर कहा जाने वाले विद्यालय  ,जहा गुरु को भगवान का दर्ज़ा दिया जाता  है। उस पवित्र मंदिर में आज भी कुछ गुरु ऐसे है जिनकी नज़रे छात्राओ के जिस्म पर ही रहता  है। और मौका मिलते ही वो अपनी सोच को अंजाम तक पहुचाने में लग जाते है। आज के समय में दरिंदगी की हद तो तब पार हो गयी जब ये कलयुगी गुरु नवजात बच्चियों तक को भी नहीं बख़्शते है। वो माता -पिता जो अपने कलेजे के टुकड़ो को गुरुओ के सहारे निश्चिंत हो कर घर से विदा करते है ,पर उन्हें क्या पता की वो जिसके पास भेज रहे है वही गुरु उनके बच्चो के साथ इस प्रकार की शर्मनाक हरकत करते है। छात्राओ के लिए सबसे बड़ी समस्या  उस वक़्त उत्पन्न होती है  जब वो अपने ही माँ बाप को अपने गुरु की काली करतूत बताने में शर्म महसूस करती है ,इन्ही में से कुछ लडकिया अपनी आपबीती किसी से ना बया कर पाने के कारन दुनिया क अलविदा कह जाती है। और इन्ही वजह से कलयुगी गुरुओ के हाथ लम्बे होते चले जा रहे है ,और ये सामाजिक भगवान का चोला पहन कर रक्षिसी करतूत पर अमलीजामा पहनाते  हुए अपने सोच को अंजाम तक पंहुचा रहे है। और तो और उन नबालिको का क्या जिन्हे ये तक नहीं मालूम अच्छा क्या होता है और बुरा क्या ? लेकिन वो  पापी उन मासूम बच्चियों के मासूमियत तक को दरकिनार करते हुए अपने हवस का शिकार  बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। और आज भी समाज उन  ढोंगी गुरुओ की पूजा करता है और ऐसे गुरु आज भी समाज में सम्मनित जीवन जी  रहे है 

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