पत्रकारों की भी दुसवारियाँ हैं साहब

गांव में मेरे कुल-पुरोहित के बेटे जगदीश बाबा लंबी बेरोजगारी झेलकर बनारस के किसी अखबार का स्ट्रिंगर बनने में सफल रहे। जल्द ही लोग उनकी साइकल पहचानने लगे, जिसकी डोलची पर उनका और उनके अखबार का नाम लिखा था। स्ट्रिंगर जमीनी स्तर पर अखबारों के हाथ-पांव होते हैं लेकिन उन्हें नियमित वेतन नहीं, छपी खबर की लंबाई के हिसाब से मेहनताना मिलता है।
चार-छह मील के दायरे में जगदीश बाबा अपने अखबार के प्रतिनिधि थे। थानों और कोटा-परमिट की दुकानों में उन्हें बैठने के लिए कुर्सी मिलती थी। जब-तब छोटे-मोटे फायदे भी। लेकिन इलाके में उनकी छवि एक महापंडित के नालायक बेरोजगार बेटे की ही बनी रही। एक बार जगदीश बाबा ने किसी चौकी इंचार्ज के बारे में कोई तीखी खबर लिख दी तो उसने उन्हें चोरी के मामले में फंसा दिया और हवालात में बंद करके उनकी खूब पिटाई की।

जगदीश बाबा के बारे में मेरे पास ठोस सूचनाएं इतनी ही हैं, सो उनको हीरो या विलेन की श्रेणी में रखना मेरे लिए संभव नहीं। हां, इतना पता है कि उनकी मृत्यु जहर से हुई और मेरे विद्वान कुल-पुरोहित के लिए अपने इकलौते बेटे का जीना और मरना, दोनों सतत पीड़ा के कारण बने रहे।
इसके काफी समय बाद जब मेरे गांव में लोगों को पता चला कि पढ़ाई के दौरान ऊंची उम्मीदें जगाने, फिर वास्तविक जिंदगी में तरह-तरह के पापड़ बेलने के बाद मैंने पत्रकारिता का पेशा अपनाया है तो उन्होंने इसको एक दुखद सूचना के रूप में ग्रहण किया। मेरे पिता की मृत्यु हुई थी और मेरे समेत गांव के सारे लोग उनके क्रिया-कर्म में लगे थे, लेकिन कुछेक को मेरे पत्रकार बनने का दुख ज्यादा ही सता रहा था। ऐसे ही एक सज्जन ने मौका ताड़कर मुझसे पूछा, ‘अब तो तुम्हारे ऊपर परिवार की जिम्मेदारी है। पत्रकारिता में कुछ पैसे भी मिलते हैं क्या?’
जब से लोग टीवी पर पत्रकारों को चमक-दमक वाले माहौल में नेताओं, अभिनेताओं और खिलाड़ियों से बातें करते देखने लगे हैं, तब से उनके मन में इस पेशे को लेकर बहुत सारे कन्फ्यूजन पैदा हो गए हैं। एक पत्रकार दिन भर पान चबाता हुआ थाने-कचहरी पर अड्डेबाजी करता दिखता है, दूसरा टीवी पर सत्ता की चौसर संभाले नजर आता है।
कैसा गड़बड़झाला है? पत्रकारिता में मूल्य और प्रतिबद्धता, सचाई सामने लाने की कोशिश में जान गंवाने का जोखिम, सत्ता की दलाली करने या उसके निशाने पर रहने की दुविधा- ये सारी चीजें देश की बहुत बड़ी आबादी के लिए इतनी नई, इतनी अपरिचित हैं कि हवा में बह जाने के सिवा उसके पास कोई चारा ही नहीं है।

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